असहिष्णुता की आड़ में सेकीं जा रही राजनीतिक रोटियां

इधर कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि गोमांस की अफवाह में किसी बेगुनाह को मौत के घाट उतार दिया गया अथवा गोमांस नहीं खाने के लिए फतवा जारी कर बयानबाजी की जा रही है। ऐसे में, सरकार को इस तरह के फतवे जारी या बयान देने वालों के खिलाफ कदम उठाना चाहिए। लेकिन देखा जा रहा है कि देश के विभिन्न प्रदेशों में गोमांस को लेकर एक अजीब सा हंगामा मचा हुआ है।
इस तरह की बयानबाजी से दुनियाभर में देश की अत्यंत निराशपूर्ण छवि आ रही है। हम क्यों इतने असहिष्णु होंगे? यदि वक्त रहने इस तरह की भड़काऊ बजनबाजी पर लगाम नहीं लगाया गया तो देश में असहिष्णुता और भी बढ़ेगी। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी असहिष्णुता बढ़ रही है। भारत और बांग्लादेश में बुद्धिजीवियों, लेखकों और तर्कवादियों पर हमले हो रहे हैं।
प्रश्न है, आखिर देश में यह असहिष्णुता क्यों पैदा हुई है? क्या देश की आम जनता इस असहिष्णुता को लेकर माथापच्ची करना चाहती है? शायद नहीं, आम लोग दो वक्त की रोटी, सिर छिपाने के लिए घर और तन ढकने के लिए कपड़े मांगते हैं। जब कोई सरकार देश की आम जनता की इन मांगों पूरा करने में नाकाम होती है, तो गोमांस जैसे मुद्दों उठाकर लोगों को गुमराह किया जाता है। इसे रूप में भी देखा जा सकता है कि देश में महंगाई जब चरम पर है, तो लोगों में सत्ता के खिलाफ आक्रोश होना लाजिमी है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि महंगाई या आम जनता के हित से जुड़े मुद्दों की ओर से ध्यान हटाने के लिए असहिष्णुता जैसे मुद्दों को हवा दी जा रही है। पर, आम जनता तो देश में असहिष्णुता नहीं, सिर्फ और सिर्फ सहिष्णुता चाहती है।
इधर, हाल ही में संपन्न हुए बिहार के विधानसभ चुनाव में कांग्रेस, राजद और जदयू के महागठबंधन ने नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा को शर्मनाक हार का मुंह दिखा दिया। अब अगले वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाला है। उस चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को राज्य की सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव केंद्रीय बल के नैताती में होना जरूरी है। किन्तु उससे पहले राज्य के विरोधी दल वाममोर्चा तथा माकपा और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन की संभावना है। इसके अलावा, केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा भी बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए हर संभव प्रसाय करेगी।
(प्रकाशितः दैनिक विश्वमित्रः सोमवार 23 नवंबर 2015)

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